Sunday, November 4, 2007

हौसले कहाँ से आए है बिन तेरे जीने के....

हौसले कहाँ से आए है बिन तेरे जीने के,
कोई चुराके ले गया है सारे समान मेरे जीने के,

आए है कुछ फरिश्ते मुझे लेने यूँ,
केहते है बाक़ी बचे है चँद लम्हे मेरे जीने के,

कुछ ना माँगु मैं कुछ ना दे तू मुझे,
बस गुज़ार ले ये कुछ पल मेरे साथ मेरे जीने के,

उसकी बाहों में दम निकले हसरत है,
यूँ छू गया है वो जस्बात मेरे जीने के,

लड़ रही हूँ अपनी ही साँसों से,
मर गये हैं सारे एहसास मेरे जीने के,

खुल के हँस लूँ में आज ये तम्मना है,
दे दे कोई दर्द पुराने मेरे जीने के,

यूँ तो इन रास्तों से गुज़री हूँ मैं कई बार लेकिन,
कौन मिटाए इन पे पड़ गये हैं जो निशान मेरे जीने के,

बनके नासूर मज़ा देंगे मुझको यक़ीन है इन पर,
आके अपना मेरा कोई कुरेदे तो ज़ख़्म मेरे जीने के,

जाने क्या सोच के वो भीगा है अश्कों में,
रोता है उन पर बचे है जो पल मेरे जीने के.

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